डेंग बखार : इलाज में थोड़ी सी लापरवाही हो सकती है जानलेवा
कला ___ दुनिया के 128 देशों में डेंगू फैला हुआ है। डेंगू से आजतक कोई भी देश आज तक पूरी तरह से इससे मुक्त नहीं हो पाया है। इससे होने वाले बुखार को 'हड्डीतोड़' बुखार भी कहा जाता है क्योंकि पीड़ित व्यक्ति को बहुत दर्द होता है, जैसे उनकी हड्डियां टूट रही हों। शुरुआत में यह बुखार सामान्य बुखार जैसा ही लगता है, जिसके कारण सामान्य बुखार और डेंगू के लक्षणों में फर्क समझ नहीं आता है। इस बुखार के इलाज में थोड़ी सी लापरवाही भी जानलेवा साबित हो सकती है। यहां जानिए, इस बुखार के लक्षण और बचाव के तरीके। कारण : डेंगू बुखार एडीज इजिप्टी मच्छर के काटे से होता है। मच्छर के काटने के करीब 3- 5 दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं। डेंगू फैलाने वाले एडीस मच्छर को पूरी तरह से खत्म करना संभव नहीं है। गर्म से गर्म माहौल में भी यह जिंदा रह सकता है। इसके अंडे आंखों से दिखते भी नहीं हैं, जिसके कारण इसे मार पाना आसान नहीं है।पानी के संपर्क में आते ही अंडा लार्वा में बदल जाता है और फिर अडल्ट मच्छर बन जाता है। डेंगू बुखार के लक्षण - ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार चढ़ना - सिर, मांसपेशियों और जोड़ों दिखते में दर्द होना - आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना - बहुत ज्यादा कमजोरी लगना - भूख न लगना - जी मितलाना और मुंह का स्वाद खराब होना- गले में हल्का-सा दर्द होना स्किन - शरीर खासकर चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज होना डेंगू बुखार के प्रकार सामान्य डेंगू बुखार - इसमें बुखार के साथ तेज बदन दर्द, सिर दर्द खास तौर पर आंखों के पीछे और शरीर पर दाने हो जाते है। यह जल्द ठीक हो जाता है। एक डेंगू बुखार ऐसा भी होता है जिसमें लक्षण नहीं उभरते। ऐसे मरीज का टेस्ट करने पर डेंगू पॉजिटिव आता है लेकिन वह खुद-ब-खुद बिना किसी इलाज के ठीक हो जाता है। क्लासिकल डेंगू बुखार- यह डेंगू फीवर एक नॉर्मल वायरल फीवर है। इसमें तेज बुखार, बदन दर्द, तेज सिर दर्द, शरीर पर दाने जैसे लक्षण दिखते हैं। यह डेंगू 5-7 दिन के सामान्य इलाज से ठीक हो जाता है। डेंगू हेमरेजिक बुखार - यह थोड़ा खतरनाक साबित हो सकता है। इसमें प्लेटलेट और वाइट ब्लड सेल्स की संख्या कम होने लगती है। नाक और मसूढ़ों से खून आना, मिट्टी शौच या उल्टी में खून आना या स्किन पर गहरे नीले-काले रंग के चकते जैसे लक्षण भी हो सकते हैं। डेंगू शॉक सिंड्रोम- इसमें मरीज धीरे-धीरे होश खोने लगता है, उसका बीपी और नब्ज एकदम कम हो जाती है और तेज बुखार के बावजूद स्किन ठंडी लगती है। जांच : डेंगू की लैबरेटरी जांच में मरीज के खून में ऐंटीजन IgM और IgG व प्रोटीन NS-1 देखे जाते हैं। NS-1 की मौजूदगी से यह पता चलता है कि मरीज के अंदर डेंगू वायरस का इंफेक्शन है लेकिन जरूरी नहीं कि उसे डेंगू फीवर हो। IgM और IgG में से अगर केवल IgG पॉजिटिव है तो इसका मतलब है कि मरीज को पहले कभी डेंगू रहा है। कभी-कभी इन तीनों में से किसी के भी पॉजिटिव होने पर डॉक्टर मरीज में डेंगू का डर पैदा करके उनसे ठगी कर लेते हैं। डेंगू में प्लेटलेट्स और PCV दोनों का ध्यान रखना जरूरी है। PCV ब्लड में रेड ब्लड सेल्स का प्रतिशत बताता है। यह सेहतमंद पुरुषों में 45 फीसदी और महिलाओं में 40 फीसदी होता है। डेंगू में बढ़ मनका कुरामा सकता है। इसके बढ़ने का मतलब खून का गाढ़ा होना है। अगर PCV बढ़ रहा है तो खतरनाक है। मच्छरों को पैदा होने से रोकने के लिए क्या करें : डेंगू के बचाव के लिए मच्छरों को पैदा होने से रोकें और खुद को काटने से भी बचाएं। कहीं भी खुले में पानी जमा न होने दें, साफ पानी भी गंदे पानी जितना ही खतरनाक है। पानी पूरी तरह ढककर रखें, कूलर, बाथरूम, किचन आदि में जहां पानी रुका रहता है, वहां दिन में एक बार मिट्टी का तेल डाल दें। कूलर का इस्तेमाल बंद कर दें। अगर नहीं कर सकते तो उसका पानी रोज बदलें और उसमें ब्लीचिंग पाउडर मरीज या बोरिक एसिड जरूर डालें। छत उसका पर टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, जाती बोतलें आदि न रखें या उलटा करके स्किन रखें। पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें। घर के अंदर जांच सभी जगहों में हफ्ते में एक बार IgM मच्छरनाशक दवाई का छिड़काव देखे जरूर करें। यह डेंगू बुखार से बचाव : डेंगू आउटडोर में पूरी बांह की शर्ट, जरूरी बूट, मोजे और फुल पैंट पहनें। IgM खासकर बच्चों के लिए इस बात IgG का जरूर ध्यान रखें। मच्छर गाढ़े रंग की तरफ आकर्षित होते हैं इसलिए । हल्के रंग के कपड़े पहनें। तेज महक वाली परफ्यूम लगाने से बचें क्योंकि मरीज मच्छर किसी भी तरह की तेज महक ठगी की तरफ आकर्षित होते हैं। और कमरे में मच्छर भगानेवाले स्प्रे, जरूरी मैट्स, कॉइल्स आदि का प्रयोग करें। मस्किटो रेपलेंट को जलाते सेहतमंद समय सावधानी बरतें। इन्हें जलाकर महिलाओं कमरे को 1-2 घंटे के लिए बंद बढ़ कर दें।